कैरियर– एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एक इंजीनियरिंग शाखा है, इसमें विद्यार्थियों को एयरक्राफ्ट के मैकेनिज्म के बारे में अध्ययन करवाया जाता है.एयरोनॉटिकल इंजीनियर एयरक्राफ्ट को ऑपरेट करते हैं, डिजाइन करते हैं.डिवेलप करते हैं.ऐसे इंजीनियर को डिफेंस सर्विस एवं विमान इंडस्ट्री भी हायर करती है.एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के लिए जरूरी है कि आपका मैथ काफी अच्छा हो.इस क्षेत्र में लगातार विस्तार की संभावनाएं हैं. क्षेत्र बढ़ेगा तो जाहिर सी बात है कि इससे जुड़े विशेषज्ञों की आवश्यकता भी लगातार बढ़ती रहेगी.एयरोनॉटिकल के क्षेत्र में रोजगार के असीमित अवसर हैं.आइए हम आपको बताते हैं कि एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कैसे कर सकते हैं.तथा देश के टॉप संस्थान कौन से हैं जिसमें कैरियर का क्या स्कोप है.
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के लिए जरूरी योग्यता– एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के लिए जरूरी है कि आपने हाई स्कूल में फिजिक्स मैथमेटिक्स विषय से पढ़ाई की हो.एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स कई लेवल पर मौजूद हैं.अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, ग्रेजुएशन और डॉक्टरेट लेबल.जो छात्र ग्रेजुएशन लेवल पर यह कोर्स करना चाहते हैं उन्हें कम से कम कक्षा 12 में पीसीएम विषय में 50 फ़ीसदी नंबर लाने होंगे. पोस्ट ग्रेजुएशन और डॉक्टरेट लेवल पर दाखिले के लिए जरूरी है कि छात्र ने ग्रेजुएशन पूरा कर लिया हो.देश के टॉप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिला एंट्रेंस एग्जाम और मेरिट के हिसाब से लिया जाता है.ग्रेजुएट एप्टिट्यूड टेस्ट इंजीनियरिंग गेट एग्जाम के नंबर के हिसाब से भी कॉलेजों में दाखिला मिलता है.
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अवसर- जैसे कि खुद कोर्स बता रहा है कि एयरोनॉटिकल इंजीनियर एयरक्राफ्ट के मेंटेनेंस टेक्नोलॉजी से जुड़ी चीजों पर काम करते हैं ताकि विमान को बेहतर किया जा सके.एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कर इन जॉब प्रोफाइल्स पर काम कर सकते हैं, जैसे एयरोनॉटिकल इंजीनियर, एयरोनॉटिकल मैकेनिकल इंजीनियर, एयरोनॉटिकल इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर और फ्लाइट इंजीनियर.भारत में एयरोनॉटिकल इंजीनियर कोर्स करके कोई भी विद्यार्थी सालाना 8 से 10 लाख रुपए कमा सकता है .
जानिए एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कौन-कौन से कोर्स उपलब्ध हैं- एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में 4 साल का बीई /बी टेक डिग्री कोर्स तो है ही जो छात्र अधिक नहीं पढ़ना चाहते हैं वह 10वीं एवं 12वीं के बाद क्रमसा 3 साल की अवधि वाला डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में 4 वर्ष की अवधि वाला ग्रेजुएशन पूरा करने के पश्चात पीजी कोर्स एमई /एमटेक किए जा सकते है.एमई करने के पश्चात 2 वर्ष की अवधि पीएचडी यानी डॉक्टोरल कोर्स भी किया जा सकता है.
एरोनॉटिकल क्षेत्र में यहां पर पा सकते हैं आप जॉब-
एयर इंडिया
हेलीकॉप्टर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया
नेशनल एयरोनॉटिक्स
इंडियन एयर फोर्स
प्राइवेट एयरलाइंस
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड
एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट
देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज जहां से आप पढ़ाई कर सकते हैं-
आईआईटी तिरुवंतपुरम
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान
भारतीय उद्योगकी संस्थान मुंबई
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग देहरादून
हिंदुस्तान कॉलेज आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कोयंबटूर.
जरूरी स्किल- एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए छात्रों के अंदर गणितीय शुद्धता और डिजाइन, स्किल, कंप्यूटर और अच्छी कम्युनिकेशन समझ होना बहुत जरूरी है.इसके अलावा इसके अंदर योजना बनाने तथा दबाव में काम करने की दक्षता होने के साथ-साथ मैनुअल नॉर्मल कलर विजन, फिजिकल फिटनेस टेक्निकल और मैकेनिकल एप्टिट्यूड स्पेसक्राफ्ट एयरक्राफ्ट उपकरण के लिए जुनून होना चाहिए.
सैलेरी- पैकेज कोर्स पूरा करने के बाद एयरोनॉटिकल इंजीनियर को हाई सैलरी मिलती है.जिसका वेतन 20 से ₹50 लाख सालाना है.यह पैकेज उम्मीदवार के अनुभव के आधार पर होता है.सरकारी क्षेत्र में एयरोनॉटिकल इंजीनियर को ग्रेड के आधार पर रखा जाता है.इनकी सैलरी सरकारी क्षेत्र में फिक्स स्केल के आधार पर होती है.कुल मिलाकर अगर आप एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं तो इस क्षेत्र में रोजगार की असीम और अपार संभावनाएं हैं.